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Why Women Live Longer Than Men ?!||स्त्रियों की आयु पुरुषो के मुक़ाबले औसत ज्यादा क्यों होती है ?||Biological fact kya hai ?||

●Why Women Live Longer Than Men?

.आप संसार के किसी भी देश के किसी भी कालखंड में इकट्ठे किये गये डेटा पर नजर मारेंगे तो एक बात आपको हर जगह कॉमन मिलेगी – औरतों की औसत उम्र मर्दों के मुक़ाबले 4-5 साल ज्यादा ही होती है, ऐसा क्यों?

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अब हो सकता है कि, on a lighter note, मेरे कुछ पुरुषवादी मित्र कहें कि मर्द औरतों के मुकाबले ज्यादा काम करता है, ज्यादा स्ट्रेस लेता है, ज्यादा खतरे उठाता है, दारु ज्यादा पीता है, सुट्टे ज्यादा मारता है… और औरतें हर जगह मर्दों का खून पीने के लिए जानी जाती है, इसलिए जाहिर तौर पर मर्दों की उम्र कम होनी ही चाहिए।

……… अगर आप ऐसा सोचते हैं तो मेरे दोस्त, आप पूरी तरह गलत हैं। मर्दों की कम उम्र सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं, बल्कि ज्यादातर जानवरों में मादा के मुकाबले नर जीव ही पहले परलोक सिधारता है। समस्या “पुरुष” होने में है, अर्थात आपकी कम उम्र का उत्तरदायी आपको “पुरुष” बनाने वाली जींस हैं।

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ये तो हम सबने स्कूल में पढ़ा ही है कि हमारी हर कोशिका में 2 के जोड़े में कुल 23 क्रोमोसोम होते हैं। मतलब हर कोशिका में कुल 46 क्रोमोसोम अथवा डीएनए के अणु।

…….अब 23वें जोड़े में अगर दोनों क्रोमोसोम XX हैं तो औलाद लड़की होती है। अगर XY हैं, तो औलाद लड़का होती है। प्रॉब्लम इसी 46वें क्रोमोसोम अर्थात “Y” में है, जो हममें पुरुषत्व को जन्म देता है।

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X क्रोमोसोम में लगभग 15 करोड़ डीएनए बेस पेयर (न्यूक्लियोटाइड) होते हैं, वहीं Y क्रोमोसोम मात्र 6 करोड़ डीएनए बेस पेयर लंबा होता है, अर्थात – Y क्रोमोसोम का आकार बेहद छोटा है, यह सबसे बड़ी समस्या है।

……. X क्रोमोसोम शरीर की इम्युनिटी बरकरार रखने और अंगों के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए लगभग लगभग 900 जींस को जन्म देता है, वहीं Y सिर्फ 55 जींस का निर्माण करता है।

अब जिसके पास X की दो कॉपी होंगी, अर्थात औरतें, उनके शरीर को जेनेटिक लेवल पर पुरुषों के मुकाबले दोगुनी मेंटिनेंस तो वैसे ही हासिल हो जाती है। है कि नहीं?

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दूसरी समस्या यह है कि निरंतर नयी कोशिकाओं को जन्म देने के लिए हर क्रोमोसोम अपनी कॉपी तैयार करता है। डीएनए कॉपी करने की प्रक्रिया के दौरान कोशिका बहुत गलतियाँ करती है, हानिकारक म्यूटेशन होते हैं, तोड़ा गया डीएनए गलत जगहों पर जुड़ जाता है।

…………. इससे बचने के लिए कोशिका हर बार डीएनए की प्रूफरीडिंग करती है। अब जिनके पास एक जैसे दो क्रोमोसोम अर्थात XX हों, वे एक कॉपी को सामने रख दूसरी कॉपी में हुई मिस्टेक को ठीक कर लेती हैं।

पर XY मर्दों में चूँकि दोनों क्रोमोसोम अलग हैं, इसलिए बॉडी मिस्टेक को ऑटो-करेक्ट नहीं कर पाती, निरंतर डीएनए में क्षति होती रहती है।

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आज से लगभग 18 करोड़ साल पहले स्तनधारी पुरुष जीवों में X और Y की लम्बाई लगभग बराबर ही थी और औरत-मर्द की उम्र भी। तब संयोगवश कुछ ऐसे म्यूटेशन हुए जिसके कारण Y क्रोमोसोम की स्थिति X के मुकाबले उल्टी हो गयी, और दोनों क्रोमोसोम की जींस का अलाइनमेंट बिगड़ गया, इस तरह X-Y के मध्य डीएनए रिकॉम्बिनेशन करना संभव नहीं रहा। तब से पुरुष प्रजाति हर दस लाख साल में औसतन 5 Y क्रोमोसोमल जींस गंवाती जा रही है और Y क्रोसोमोम निरंतर छोटा भी हो रहा है।

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इसी हिसाब से यह स्थिति चलती रही तो लगभग 46 लाख सालों में Y क्रोमोसोम पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।

अर्थात, पृथ्वी पर से “पुरुष प्रजाति” का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

यानी – भविष्य में…. पृथ्वी पर सिर्फ महिलायें ही शेष रहेंगी। न कोई पुरुष जींस बचेगी, न ही कोई पुरुष जन्म लेगा।

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तो फिर प्रजनन कैसे होगा? क्या प्रकृति के पास कोई प्लान-बी है? या जेनेटिक इंजीनियरिंग से हम इस खतरे को टाल सकते हैं?

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इन सब सवालों का जवाब जल्द किसी अन्य पोस्ट में…

As of now, blame nature for your short lifespan!!!

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And As Always

Thanks For Reading

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– झकझकिया

लेख़क – विजय सिंह ठकुराय

साभार – विजय सिंह ठकुराय

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