bhagvad geeta
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Gita Jayanti 2023|| गीता जयंती का महत्व||Know Bhagvad geeta ||गीता जयंती २०२३||गीता जयंती २०२३ कब है ?||Quotes of Famous Personalities about shri mad bhagvad geeta||in HINDI

5160th Anniversary of the bhagvad Gita granth

Gita Jayanti on Friday, December 22, 2023

दैनिक पंचांग के अनुसार, इस बार गीता जयंती 22 दिसंबर को है। मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत सुबह 08 बजकर 16 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानि 23 दिसंबर को प्रातः काल 07 बजकर 11 मिनट पर तिथि का समापन होगा।

भगवद गीता क्या है ?

गीता ग्रन्थ में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं. इनमें उन सभी की समस्याओं का समाधान है, जो लोगों के जीवन में किसी न किसी पड़ाव पर आते ही हैं |

हिंदू धर्म को अगर समझना है तो आपको एक बार गीता जरूर पढ़ना चाहिए. गीता में मनुष्य के जीवन से जुड़ी हुई हर तरह की समस्याओं को बहुत ही आसान भाषा में समझाया गया है. कहते हैं गीता सभी वैदिक ग्रंथों का सार है, गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है. महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिए थे. उन्हीं को गीता का नाम दिया गया |

गीता को श्रीमद्भगवद्गीता और गीतोपनिषद के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गीता के उपदेशों का अनुसरण करने से समस्त कठिनाइयों और शंकाओं का निवारण होता है।

गीता में श्रीकृष्ण के द्वारा बताए गए उपदेशों पर चलने से व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। गीता के उपदेश में जीवन को जीने की कला, प्रबंधन और कर्म सब कुछ है। इसलिए इस दिन गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। 

गीता जयंती का महत्व :

हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता की तहर ही गीता जयंती को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। गीता में लिखे गए प्रत्येक श्लोक मनुष्य कल्याण के लिए लाभकारी माने जाते हैं। गीता के उपदेश के जरिए भगवान श्रीकृष्ण ने मनुष्य को अच्छे-बुरे और सही-गलत का फर्क बताया है। इस दिन यदि गीता का पाठ किया जाए तो भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?

श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया का इकलौता ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि गीता का जन्म स्वंय भगवान श्री कृष्ण के मुख से हुआ है। गीता में वर्णित एक-एक श्लोक भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकले हैं, इसलिए गीता जयंती मनाई जाती है। 

इस दौड़धाम भरी जिंदगी में आखिर क्यों जरूरी हैं गीता का पाठ, इसे जानने के लिए आपको गीता का सिर्फ पठन नहीं बल्कि मनन करना होगा।

दरअसल, जब कभी कोई व्यक्ति कर्तव्य पथ पर चलते हुए व्यक्तिगत, पारिवारिक, व्यावसायिक या ऐसे किसी विचारव्यूह में उलझता है तो उसे इसके माध्यम से सही रास्ता प्राप्त होता है।

जीवन के उस मोड़ पर जब व्यक्ति को कोई रास्ता नहीं सूझता और वह खुद को तमाम समस्याओं से घिरा पाता है तो कर्तव्य-अकर्तव्य के असमंजस में फंस जाता है। उस मुश्किल समय में श्रीमद्भगवद्गीता उसका हाथ थामती है और मार्गदर्शन करती है।

भारत की सभी परंपराओं में है स्वीकार्य

कहते हैं कि जिसने गीता के अर्थ को समझ लिया वो जीवन में किसी भी परिस्थिति का मुकाबला करने से नहीं घबराता है। आइए जानते हैं गीता के उन प्रमुख श्लोकों को जो आज भी हमें मुश्किल समय में सही राह दिखाने का कार्य करते हैं –

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥


भावार्थ : आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥


परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥


भावार्थ : 
श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जब-जब धर्म की हानि होती है या फिर कहें लोप होता है तो मैं प्रकट होता हूं, जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब मैं सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और प्रत्येक युग में जन्म लेता हूं।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥


भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं।

विश्व के प्रसिद्ध लोगो के भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से बोली गई श्री मद भगवद गीता ग्रन्थ पर विचार –

  • जब मैं भगवद-गीता पढ़ता हूं और सोचता हूं कि भगवान ने इस ब्रह्मांड को कैसे बनाया तो बाकी सब कुछ बहुत ही अनावश्यक लगता है। – अल्बर्ट आइंस्टीन

  • “महात्मा गाँधी ने कहा था कि ”जब कभी संदेह मुझे घेरते हैं और मेरे चेहरे पर निराशा छाने लगती है तो मैं गीता को एक उम्मीद की किरण के रूप देखता हूं. गीता में मुझे एक छंद मिल जाता है, जो मुझे सांत्वना देता है. मैं कष्टों के बीच मुस्कुराने लगता हूं |

  • “सुबह मैं अपनी बुद्धि को भगवद-गीता के अद्भुत और ब्रह्मांड संबंधी दर्शन से स्नान कराता हूं, जिसकी तुलना में हमारी आधुनिक दुनिया और उसका साहित्य छोटा और तुच्छ लगता है।” – हेनरी डेविड थोरो

  • “भगवद-गीता के कारण मेरा दिन शानदार रहा। यह किताबों में से पहली थी; यह ऐसा था मानो कोई साम्राज्य हमसे बात कर रहा हो, कुछ छोटा या अयोग्य नहीं, बल्कि बड़ा, शांत, सुसंगत, एक पुरानी बुद्धिमत्ता की आवाज़ जिसने दूसरे युग और माहौल में विचार किया था और इस तरह उन्हीं सवालों का निपटारा किया था जो हमें परेशान करते हैं। – राल्फ वाल्डो एमर्सन

  • “भगवद-गीता के स्पष्ट ज्ञान से मानव अस्तित्व के सभी लक्ष्य पूरे हो जाते हैं। भगवद-गीता वैदिक शास्त्रों की सभी शिक्षाओं का प्रकट सार है। – आदि शंकराचार्य

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