ram mandir ayodhya
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राम मंदिर अयोध्या प्राणप्रतिष्ठा के बारे में सब कुछ -जो आप जानना चाहते है|| राम मंदिर के बारे मे कुछ रोचक तथ्य (Interesting Fact About Ram Mandir Ayodhya)||All About Ram Mandir Ayodhya||Jay Shree Ram||

राम मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जो वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माणाधीन है। जनवरी २०२४ में इसका गर्भगृह तथा प्रथम तल बनकर तैयार है और २२ जनवरी २०२४ को इसमें श्रीराम के बाल रूप में विग्रह की प्राणप्रतिष्ठा की गई।

राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को किया गया था। वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की  जा रही है।

जनवरी २०२४ तक गर्भगृह सहित मन्दिर का प्रथम तल तैयार हो चुका है। इसमें श्रीराम के मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा २२ जनवरी २०२४ को दोपहर १२:२९ बजे ९० मिनट के शुभ मुहुर्त काल के दौरान की गई। जिसमें भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि रहे। इसके पूर्व १५ जनवरी से ही विभिन्न कार्यक्रम शुरू हो गए थे। प्राण प्रतिष्ठा के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने १०० करोड़ रूपये निर्धारित किये हैं। २२ जनवरी को कई प्रदेशों में विद्यालयों में छुट्टी दी गयी है। नरेन्द्र मोदी ने लोगों का आह्वान किया है कि २२ जनवरी को सभी अपने घरों पर दीये जलायें। कार्यक्रम में मोदी समेत सिनेमा जगत के कई जानेमाने कलाकार एवं कुल ६००० वीवीआईपी शामिल हुए।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, अयोध्या राम मंदिर का विवरण:

  1. अयोध्या राम मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या शहर में स्थित है।
  2. मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.7 एकड़ है और इसका निर्मित क्षेत्रफल 57,400 वर्ग फुट है।
  3. मंदिर 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है।
  4. मंदिर में तीन मंजिलें हैं, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है।
  5. मंदिर के भूतल पर 160 स्तंभ हैं, पहली मंजिल पर 132 स्तंभ हैं और दूसरी मंजिल पर 74 स्तंभ हैं।
  6. मंदिर में पांच शिखर और पांच मंडप हैं।
  7. मंदिर में 12 द्वार हैं।
  8. राम मंदिर के गर्भगृह में जो रामलला की प्रतिमा विराजमान है, उसे मैसूर के शिल्पकार अरुण योगिराज ने बनाया है. रामलला की प्रतिमा बनाना इतना आसान काम नहीं था. कठोर शिला को तराश कर बाल-प्रतिमा का रूप देने के लिए अरुण योगिराज ने दिन-रात मेहनत की. इस दौरान वो गंभीर रूप से चोटिल भी हुए.
  • ज्योतिषाचार्य पंडित वरुण पांडेय बताते हैं कि रामायण में प्रभु श्रीराम के श्याम रंग के बारे में लिखा गया है. इसलिए मूर्ति को बनाने वाले अरुण योगीराज ने रामलला की मूर्ति बनाने के दौरान इस बात का खास ख्याल रखा है. उन्होंने मूर्ति में जहां विष्णु भगवान से जुड़े सभी अवतारों को दिखाया है तो वहीं मूर्ति को भी रामायण के आधार पर ही श्यामल रंग का बनाया है. वहीं जिस शिला से रामलला की मूर्ति बनी है वह काले रंग की है, भगवान राम की यह मूर्ति सालों ऐसी ही रहेगी, क्योंकि जिस पत्थर से यह मूर्ति बनी है, वह लंबे समय तक खराब नहीं होता है.
  • अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हो गया. भव्य राम मंदिर में रामलला की जिस मूर्ति को प्रतिष्ठित किया गया है, उसे अब बालक राम के नाम से जाना जाएगा, क्योंकि इसमें भगवान को पांच साल के लड़के के रूप में दर्शाया गया है. इस बात की जानकारी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से जुड़े पुजारी अरुण दीक्षित ने दी. अरुण दीक्षित के मुताबिक जैसे किसी बच्चे के जन्म के बाद उसका नामकरण संस्कार किया जाता है, वैसे ही रामलला के नए विग्रह का भी नामकरण किया गया है. चूंकि भगवान राम का विग्रह बालरूप में है, इसलिए उनका नाम ‘बालकराम’ रखा जाना सर्वथा उचित है. रामलला के बालरूप दर्शन को प्रतिदिन लाखों भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं.
  • श्री रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ट्वीट करके एक घटना का जिक्र किया. इसमें उन्होंने बताया कि मंगलवार शाम लगभग 5:50 बजे एक बंदर दक्षिणी द्वार से गूढ़ मंडप से होते हुए गर्भगृह में प्रवेश करके उत्सव मूर्ति के पास तक पहुंचा. बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने देखा, तो वो बन्दर की ओर यह सोच कर भागे कि कहीं वह उत्सव मूर्ति को जमीन पर न गिरा दे.
  • लेकिन जैसे ही पुलिसकर्मी बंदर की ओर दौड़े, वैसे ही वह शांतभाव से भागते हुए उत्तरी द्वार की ओर गया. द्वार बंद होने के कारण पूर्व दिशा की ओर बढ़ा और दर्शनार्थियों के बीच में से होता हुआ, बिना किसी को कष्ट पहुंचाए पूर्वी द्वार से बाहर निकल गया. सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि ये हमारे लिए ऐसा ही है, मानो स्वयं हनुमान जी रामलला के दर्शन करने आये हों.

पांच लाख श्रद्धालुओं किया रामलला का दर्शन –

अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में सोमवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आधी रात से ही श्रद्धालुओं का दर्शन के लिए जमावड़ा लगने लगा था और मंगलवार देर शाम तक पांच लाख से अधिक श्रद्धालु भगवान राम के बाल स्वरूप का दर्शन कर चुके थे. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर कई बार भीड़ काबू से बाहर होती दिखी लेकिन पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने स्थिति को तुरंत संभाल लिया और लोगों को कतार में खड़ा करवाकर भगवान राम के दर्शन कराए.

दिन के अनुसार रामलला को पहनाए जाएंगे वस्त्र –

मंदिर के पुजारियों का कहना है कि श्री रामलला के वस्त्रों का रंग दिन के अनुसार रहेगा. रामलला को सोमवार के दिन सफेद वस्त्र धारण कराए जाएंगे और खास अवसर पर पीले वस्त्र धारण करे दिखेंगे. भगवार राम को मंगलवार के दिन लाल, बुधवार को हरा रंग, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को हल्का पीला, शनिवार को नीला और रविवार को गुलाबी रंग के वस्त्र पहनाए जाएंगे. पुणे के हैरिटेज एंड हैंडवीविंग रिवाइवल चैरिटेबल ट्रस्ट से रामलला के लिए कपड़े तैयार करवाए गए हैं. इन कपड़ों की बुनाई में 10 से 15 लाख कारीगर शामिल थे.

रामयण का आधार –

भगवान राम के सपूर्ण चरित्र को दर्शाने वाली कथा रामायण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि जी ने की थी. वाल्मीकि जी ने 24000 श्लोकों में श्रीराम उपाख्यान रामायण लिखी. ऐसा माना जाता है कि एक बार वाल्मीकि क्रौंच पक्षी के जोड़े को देख रहे थे. प्रेम मे लीन उस जोड़े में से नर पक्षी का एक बहेलिये ने वध कर दिया. जिसके बाद मादा पक्षी विलाप करने लगी. उसका विलाप सुनकर वाल्मीकि जी का मन दुखी हो गया और उनके मुख से एक श्लोक फूट गया.

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वंगमः शाश्वतीः समाः। यत्क्रौंचमिथुनादेकं वधीः काममोहितम्॥

समरसता का पाठ पढ़ाते हैं श्रीराम –

माता शबरी की पौराणिक कथा मिलती है, जिसमें भक्त का भगवान के प्रति और भगवान का भक्त के प्रति प्रेम और भक्ति भाव दर्शाया गया है. जिसमें बताया गया है कि माता शबरी अपने प्रभु राम के लिए प्रेम से बेर तोड़कर लाती हैं और उन्हें चखकर रामजी को खिलाती हैं ताकि उनके मुख में गलती से खट्टा बेर न चला जाए. राम जी भी अपनी भक्त के प्रेम में खुशी से बेर ग्रहण करते हैं. इस कहानी की मूल उद्देश्य देखा जाए तो जात-पात के भेदभाव को मिटाना है. इसी तरह रामायण के अयोध्या कांड में केवट की कथा भी मिलती है जब निषादराज केवट अपनी नाव में भगवान राम और माता सीता को गंगा पार करवाते हैं.

श्रीराम, सिखाते हैं वचन निभाना –

भगवान राम सिखाते हैं कि स्थिति चाहे जो भी हो रिश्तों को निभाने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए. जब कैकयी राम जी के लिए 14 वर्षों का वनवास मांगती हैं तो राजा दशरथ अपने ज्येष्ठ पुत्र राम को वन जाने की आज्ञा देते हैं. अपनी पिता की आज्ञा का पालन करते हुए राम सहर्ष वन जाना भी स्वीकार कर लेते हैं. इस दौरान छोटे भाई लक्ष्मण और माता सीता भी साथ जाते हैं. जब शत्रुघ्न अपने बड़े भाई को वापस अयोध्या ले जाने के लिए जाते हैं तो भगवान राम उनके साथ जाने से इंकार कर देते हैं और पिता को दिया हुआ वचन पूर्ण करने के लिए वन ही निवास करते हैं. इस तरह राम जी रिश्तों का मान रखते हुए वचन व्रत को पूर्ण करने की भी सीख देते हैं.

ख़राब स्थिति में भी हिम्मत न हारने की देते हैं प्रेरणा –

अरण्यक वन में जब छल से रावण माता सीता का हरण कर लेता है तो प्रभु राम अपनी अर्धांगिनी सीते की विरह में वह व्याकुल हो जाते हैं, लेकिन उस स्थिति में भी वह हिम्मत नहीं हारते हैं और नल-नील, बजरंगबली, सुग्रीव की वानर सेना के साथ मिलकर युद्ध का शंखनाद करते हैं और रावण का वध कर राम राज्य की स्थापना करते हैं. इस तरह से भगवान राम हर स्थिति में हिम्मत न हारने और एकता में शक्ति की भावना को समझाते हैं.

शत्रु का भी रखा मान –

आज के वक्त में रिश्तों की न तो कोई मर्यादा रही है और न ही उनमें मान रखने की भावना रही है और अपना ही अपनों का शत्रु बन बैठा है, लेकिन श्रीराम जी ने अपने जीवन में सिखाया कि कैसे न सिर्फ रिश्तों बल्कि शत्रु तक का मान रखना चाहिए. पौराणिक कथाओं में एक प्रसंग मिलता है कि जब रावण मृत्यु शैय्या पर था तब राम जी अपने अनुज लक्ष्मण से कहते हैं कि वह जाएं और रावण से कुछ ज्ञान लें. तब रावण ने तीन सीख दी थीं कि शुभ कार्यों में विलंब नहीं करना चाहिए, अशुभ कार्यों को टालने के प्रयास करने चाहिए और अहम में इतने अंधे नहीं होना चाहिए कि शत्रु को आप कम आंकने लगे. इस तरह से प्रभु राम ने शत्रु का मान रखना भी सिखाया.

राम मंदिर के बारे मे कुछ रोचक तथ्य (Interesting Fact About Ram Mandir) –

  1. राम मंदिर के निर्माण में उपयोग की गई ईंटो पर श्री राम का नाम लिखा गया हैं।
  2. राम मंदिर के 2,000 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। 
  3. राम मंदिर की नींव बनाने के लिए 2587 क्षेत्रों की मिट्टी का इस्तेमाल हुआ है। 
  4. मंदिर को सोमपुरा परिवार द्वारा डिजाइन किया गया है, जिनके पास 15 पीढ़ियों से अधिक समय से चली रही मंदिर वास्तुकला की विरासत है।
  5. अयोध्या श्री राम मंदिर की मुख्य संरचना राजस्थान के भरतपुर जिले के शाही बंसी पहाड़पुर गुलाबी बलुआ पत्थर को दर्शाती है।
  6. श्री राम मंदिर अयोध्या वास्तुकला की अनूठी नागर शैली को प्रदर्शित करता है।
  7. अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर में 13 स्वर्ण द्वार स्थापित किए गया है। 
  8. राम मंदिर 107 एकड़ के क्षेत्र में बनाया गया है। 
  9. राम मंदिर का निर्माण लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड कंपनी ने किया है। 
  10. श्रीराम मंदिर के गर्भगृह की आसन शिला  संगमरमर से बनी है। 
  11. अयोध्या के राम मंदिर में प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की ओर है, सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर प्रवेश होगा।
  12. मंदिर में कुल 44 द्वार का निर्माण किया गया है।
  13. मंदिर का निर्माण प्राचीन पद्धति से किया जाएगा इसलिए मंदिर में कहीं भी स्टील या लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
  14. एक बार में सिर्फ मंदिर भवन में 10 हजार से अधिक श्रद्धालु समाहित होकर रामलला के दर्शन कर पाएंगे।
  15. भूकंप के लिहाज से उत्तर प्रदेश संवेदनशील जोन-4 में आता है। मगर अयोध्या समेत अवध का यह हिस्सा जोन थ्री में हैं। बाकी हिस्से की अपेक्षा खतरा यहां कुछ कम है। इसीलिए राम मंदिर को रिएक्टर स्केल मापन पर आठ से 10 तक का भूकंप सहने लायक बनाया जाएगा।
  16. भगवान राम की पावन जन्मभूमि अयोध्या पवित्र सप्त पुरियों में से एक है। अयोध्या के अलावा मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका पवित्र सप्त पुरियों में शामिल हैं।

…………………………………………..JAY SHREE RAM……………………………………….

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